'इस्लामोफोबिया' पर सख्‍त अरब देश

तब्लीगी जमात के बहाने भारत में फैलाई गई इस्लामोफोबिया पर अरब देशों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी.

Publish: Apr 29, 2020, 04:41 AM IST

अरब देशों में रह रहे कुछ भारतीयों द्वारा सोशल मीडिया पर ‘इस्लामोफोबिक’ पोस्ट करने से शुरू हुई आग अभी तक ठंडी नहीं पड़ी है. संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब से लेकर कुवैत तक के प्रशासनिक और राजघराने से जुड़े चेहरे इस बाबत अपनी चिंता जाहिर कर चुके हैं.

ये सब तब शुरू हुआ था जब दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज में तब्लीगी जमात के सम्मेलन का मामला सामने आया था. तब्लीगी जमात के कई प्रतिनधि विदेश से आए थे और उनमें से कई कोरोना पॉजिटिव थे. बाद में उनमें से कई इस्लाम का प्रचार करने के लिए देश के अलग-अलग हिस्सों में चले गए, जिसकी वजह से कोरोना के मामलों में वृद्धि हुई.

तब्लीगी जमात की इस गलती की आड़ में कई निहित समूहों ने पूरे इस्लाम को निशाने पर ले लिया . भारत में रह रहे मुसलमानों को कोरोना फैलाने वाला कोरोना जिहादी बताया जाने लगा. बीजेपी के आईटीसेल प्रमुख अमित मालवीय से लेकर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस तक ने तब्लीगी जमात के बहाने एक पूरी कौम को निशाने पर ले लिया. फडनवीस ने तो तब्लीगी जमात के लोगों को कोरोना बम तक बोल दिया. इस माहौल की वजह से देशभर में मुसलमानों के खिलाफ बदसलूकी हुई और कई जगहों से उनके आर्थिक बहिष्कार की खबरें भी आईं.

यह इस्लामोफोबिया केवल भारत तक सीमित नहीं रही. बल्कि अरब देशों में काम कर रहे कुछ भारतीयों ने भी बढ़-चढ़कर इस्लामोफोबिक पोस्ट किए. जिनके ऊपर जल्द ही वहां के अधिकारियों और राजघराने से जुड़े लोगों की नजर पड़ी. उन्होंने इसका संज्ञान लिया और ऐसी घृणा भरी पोस्ट कर रहे भारतीयों को वापस भारत भेजने की चेतावनी दी. लेकिन इस चेतावनी के बाद भी अरब देशों में रह रहे कुछ भारतीय बाज नहीं आए.

Anyone that is openly racist and discriminatory in the UAE will be fined and made to leave. An example; pic.twitter.com/nJW7XS5xGx

— Princess Hend Al Qassimi (@LadyVelvet_HFQ) April 15, 2020

इसके बाद अरब देशों के नागरिक, सरकारी प्रतिनिधियों ने मोदी सरकार पर इस इस्लामोफोबिया को ना रोक पाने की जिम्मेदारी डाली. कई ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और मोदी सरकार पर खुद इस्लामोफोबिया को बढ़ाने का आरोप लगाया. इस क्रम में बीजेपी सांसद तेजस्वी सूर्या का एक पुराना ट्वीट खोज लिया गया. इस ट्वीट में सूर्या ने अरब देश की महिलाओं के खिलाफ स्त्री द्वेषी टिप्पणी की थी. आलोचना होने के बाद सूर्या ने ट्वीट डिलीट कर दिया.

@PMOIndia Respected Prime minister @narendramodi India's relation with the Arab world has been that of mutual respect. Do you allow your parliamentarian to publicly humiliate our women? We expect your urgent punitive action against @Tejasvi_Surya for his disgraceful comment. pic.twitter.com/emymJrc5aU

— المحامي⚖مجبل الشريكة (@MJALSHRIKA) April 19, 2020

इसके बाद तो एक लहर चली पड़ी. अरब देशों के नुमाइंदों ने भारतीय मुसलमानों और इस्लाम के खिलाफ की गई एक-एक टिप्पणी की सोशल मीडिया पर आलोचना शुरू कर दी और नरेंद्र मोदी सरकार पर इसका जिम्मा डाल दिया. अरब देशों में रह रहे भारतीयों को बाहर निकालने और भारतीय सामान का बहिष्कार करने की एक भावना बनने लगी.

इस बीच भारत के प्रधानमंत्री कार्यालय ने मामले को शांत करने के उद्देश्य से 19 अप्रैल को ट्वीट किया. इस ट्वीट में उन्होंने धर्मनिरपेक्षता को मूल्य को रेखांकित करते हुए कहा कि कोरोना वायरस से उपजी बीमारी धर्म, जाति, नस्ल, लिंग, देशों की सीमाएं नहीं देखती. इसलिए इसके खिलाफ लड़ाई में हम सब एक हैं.

संयुक्त अरब अमीरात में भारत के राजदूत पवन कपूर ने भी प्रधानमंत्री कार्यालय के इस ट्वीट का हवाला देते हुए वहां रह रहे भारतीयों से कहा कि उन्हें ये कभी नहीं भूलना चाहिए कि भारत और यूएई किसी भी स्तर पर भेदभाव ना करने के मूल्यों को साझा करते हैं.

India and UAE share the value of non-discrimination on any grounds. Discrimination is against our moral fabric and the Rule of law. Indian nationals in the UAE should always remember this. https://t.co/8Ui6L9EKpc

— Amb Pavan Kapoor (@AmbKapoor) April 20, 2020

लेकिन प्रधानमंत्री कार्यालय के ट्वीट करने के बाद से ये मामला शांत नहीं हुआ. सोशल मीडिया पर 26 अप्रैल को कुवैत के मंत्रिपरिषद का एक पत्र लीक हुआ, जिसमें मंत्रियों ने भारत में मुसलमानों के खिलाफ हो रहे हमलों की निंदा की. हालांकि, भारतीय विदेश मंत्रायल के पवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि कुवैत सरकार ने ये साफ किया है कि वो भारत के किसी भी आंतरिक मामले में दखल नहीं देगी.

The Council of Ministers of the State of Kuwait condemns the ethnic attacks against Muslims in India
????#Kuwait #Egypt #ksa #UAE #Morocco #India #Pakistan #usa #uk #Jordan #Iraq #India #oman #Bahrain #Qatar #yaman#Islamophobia_In_India
#UNHRC#ArabsExposingRSS pic.twitter.com/1wFsITZhRQ

— د. عبدالله الشريكة ???????? (@DrAlshoreka) April 26, 2020

कुवैत सरकार ने भले ही अपना रुख साफ कर दिया हो लेकिन बाकी अरब देशों का रुख अभी साफ नहीं है. सऊदी राजघराने की राजकुमारी हेंद अलकासिमी, जो बहुत शुरुआत से ही भारत में इस्लामोफोबिया को लेकर मुखर रही हैं, उन्होंने 26 अप्रैल को गल्फ न्यूज नाम के अखबार में एक आलेख लिखा है.

इस आलेख का शीर्षक ‘मैं घृणा और इस्लामोफोबिया से मुक्त एक भारत के लिए प्रार्थना करती हूं’ है.

राजकुमारी लिखती हैं कि दुनिया को अब दूसरे हिटलर की जरूरत नहीं है बल्कि मार्टिन लूथर, नेल्सन मंडेला और गांधी जैसे दूसरे नायकों की जरूरत है. अपने भाई को मारने से आप नायक नहीं बन जाते, यह आपको तानाशाह और हत्यारा बनाता है. घृणा के खिलाफ एक आंदोलन शक्ल ले रहा है, जिसकी गूंज पूरे अरब में सुनाई दे रही है.

यह आलेख बताता है कि प्रधानमंत्री कार्यालय के ट्वीट के बाद भी भारत में सुनियोजित तरीके से इस्लामोफोबिया की जो आग भड़काई गई, वो अभी बुझी नहीं है और अरब देशों का उसे नजरअंदाज करने का मन नहीं है.