इंदौर में अखबार बंद !
कोरोना संकट में छोटे अखबार बंद होने की कगार पर आ गए हैं तो बड़े अखबारों ने ई पेपर का प्रचार आरंभ कर दिया है।
अखबार से कोरोना वायरस फैलता है या नहीं इस असमंजस के बीच कई लोगों ने एहतियात बरतते हुए अखबार लेना बंद कर दिए हैं। कोरोना फैलने के भय से इंदौर में बड़े अखबारों की प्रसार संख्या 70 फीसदी तक गिर गई हैं और छोटे अखबार का न्यूतम प्रकाशन हो रहा है। अब इंदौर में दो हॉकर के कोरोना पॉजिटिव होने के बाद हॉकरों ने अखबार देना बंद कर दिया है। इस कारण छोटे तो ठीक सबसे अधिक सर्क्यूलेशन वाले अखबार दैनिक भास्कर का घरों तक पहुंचना मुश्किल हो गया है। भास्कर और पत्रिका जैसे अखबार इस समस्या से निपटने के लिए अपना नेटवर्क खड़ा कर रहे हैं मगर अखबार वितरण के संकट कम नहीं हुए हैं।
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कोरोना फैलने के मामले में देश के टॉप शहरों में शुमार इंदौर में चौंकाने वाली खबर आई है कि इंदौर के सबसे बड़े न्यूज़ पेपर एजेंट दुलीचंद जी जैन संस्थान द्वारा अखबारों का वितरण कार्य बंद कर दिया गया है। दुलीचंद जी जैन संस्थान के संचालक शरद जैन ने लिख कर सूचित किया है कि उनके यहां कोरोना वायरस के चलते पेपर वितरण कार्य सुरक्षा की दृष्टि से पूरी तरह से बंद कर दिया गया है ताकि अन्य लोग भी इसकी चपेट में नहीं आने पाए। जैन के संस्थान में काम करने वाले दो एजेंट पेपर बांटने का कार्य करते थे और संक्रमित होने के बाद भी पेपर बांटते रहे लेकिन जब ज्यादा तबियत बिगड़ी तो फिर जांच में पूरा मामला सामने आया इसके बाद उन्होंने यह निर्णय लिया कि फिलहाल पेपर वितरण का कार्य पूरी तरह से बंद कर दिया जाए।
इस एक निर्णय से इंदौर में अखबारों के वितरण पर काफी असर हुआ है। दुलीचंद जी जैन संस्थान इंदौर में सबसे ज्यादा पेपर वितरण के साथ ही इसकी पत्र पत्रिकाओं की दुकानें भी हैं। उनके पास आज भी हॉकरों का सबसे बड़ा नेटवर्क है। अखबार अब अपना नेटवर्क बढ़ाने में लगे हुए हैं मगर इस कार्य में समय लगेगा।
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घटा सर्क्यूलेशन, पेज भी कम
कोरोना वायरस के फैलने के कारणों को बताने के दौरान यह खबर भी वायरल हुई कि अखबारों से भी कोरोना वायरस फैल सकता है। इस खबर के बाद लोगों ने अखबार लेना बंद कर दिए। इंदौर के ही एक अखबार हॉकर गणेश माली ने बताया कि कवर्ड कैम्पस में हॉकरों का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया है। लोग अखबार खरीद भी नहीं रहे हैं। ट्रेन, बस बंद होने से यात्रियों को बिकने वाले अखबार भी कम हो गए। इस तरह अखबारों की प्रसार संख्या आधी तक तक गिर गई। इतना असर होता देख अखबार मालिकों ने एकजुट हो कर साफ किया कि अखबारों से कोरोना वायरस नहीं फैलता है। वे अखबारों को डिस्इंफेक्ट भी कर रहे हैं। मगर बात नहीं बनी। कई छोटे अखबार बंद होने की कगार पर आ गए हैं तो बड़े अखबारों ने ई पेपर का प्रचार आरंभ कर दिया है। अब हॉकरों को कोरोना होने के बाद अखबारों की प्रसार संख्या और गिर गई है। इसके पहले विज्ञापन न होने के कारण अखबारों की पेज संख्या भी कम कर दी गई है। 22 पेज के अखबारों की पेज संख्या घटा कर 12 पेज तक कर दी गई है।
इंदौर में अखबार के घटते सर्क्यूलेशन और हॉकरों के कोरोना पॉजिटिव होने को इंदौर प्रेस क्लब के अध्यक्ष अरविंद तिवारी ने दुर्भाग्यपूर्ण कहा है। उन्होंने कहा कि लोगों के अखबार न लेने के कारण प्रसार संख्या काफी घटी है। हॉकरों के न होने से अखबारों का वितरण भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है। अखबारों का होना लोकतंत्र के लिए आवश्यक है। हम चाहते हैं कि जनता की आवाज कहे जाने वाले अखबारों का संरक्षण हो।