मोदी की “मैं और मेरी मर्ज़ी” से देश परेशान : दिग्विजय

कोरोना महामारी से निपटने के लिए लॉकडाउन लगाने में देरी तथा उससे उपजी समस्‍याओं पर कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है। दूसरे देशों ने लॉकडाउन के पहले समय दिया था। यदि प्रधानमंत्री मोदी ने भी समय दिया होता तो लोग तैयारी कर लेते और देश में समस्‍याएं उत्‍पन्‍न नहीं होती।

Publish: Apr 19, 2020, 11:10 PM IST

कोरोना महामारी से निपटने के लिए लॉकडाउन लगाने में देरी तथा उससे उपजी समस्‍याओं पर कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है। सिंह ने ट्वीट कर कहा है कि मोदी अपनी मर्जी से काम करने की मनोवृत्ति का शिकार हो गए हैं। दूसरे देशों ने लॉकडाउन के पहले समय दिया था। यदि मोदी ने भी समय दिया होता तो लोग तैयारी कर लेते और देश में समस्‍याएं उत्‍पन्‍न नहीं होती। उन्‍होंने कहा है कि मोदी जी सभी के साथ समान व्यवहार होना चाहिये। यदि आप 24 मार्च को संपूर्ण लोकडाउन करने के लिये 4 घंटों के बजाय 20 मार्च के देश को दिये गये संदेश में 4 दिन का समय दे देते जैसा कि अन्य देशों में हुआ है तो यह समस्या खड़ी नहीं होती। लेकिन आप उस मनोवृत्ति के हो गये हैं “मैं और मेरी मर्ज़ी”

 

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने विना तैयारी के बंद की घोषणा कर दी जिससे हजारों प्रवासी मजदूरों को असुविधा हुई और लोगों ने घबराहट में खरीदारी की।  24 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा के बाद खाने-पीने के सामान की ख़रीदारी को लेकर दुकानों के आगे लंबी कतारें लगने लगी थी। प्रवासी मजूदर देश भर से अपने घरों की ओर पैदल ही निकल पड़े थे। दिल्ली के आनंद विहार बस अड्डे के आगे प्रवासी मज़दूरों की भीड़ ने समस्‍या का असली रूप दिखा दिया था जब भूख और भय के अंदेशे में लोग जान की परवाह किए बगैर लॉक डाउन तोड़ कर एकत्रित हो गए थे। इन सबके लिए केंद्र सरकार की कड़ी आलोचना भी हुई कि उसने पूर्वनियोजित आधार पर लॉकडाउन क्यों नहीं किया। अगर केंद्र 25 मार्च से कुछ सप्ताह पहले ही अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को रोक देता और लॉकडाउन लागू करता तो आज स्थिति बहुत बेहतर होती।

आरोप है कि केंद्र ने जनवरी और फरवरी में अपना कीमती समय बर्बाद किया। एहतियाती कदम पहले ही उठा लिए गए होते तो स्थिति इतनी नहीं बिगड़ती। कई देशों ने लॉकडाउन की घोषणा करने से पहले, तीन-चार दिनों का समय दिया लेकिन भारत में कुछ ही घंटे दिए गए। कोरोना संकट से निपटने में राज्य अधिक सक्रिय रहे हैं। कई राज्यों ने केंद्र के पहले ही लॉकडाउन लागू कर दिया था।

अभी भी देश के कई हिस्सों में मज़दूर और आम लोग फंसे हुए हैं। यह अभी साफ़ है कि लॉकडाउन-1 की तरह ही लॉकडाउन-2 में उन मज़दूरों को घर भेजने के लिए सरकार की कोई योजना नहीं है। पूर्व मुख्‍यमंत्री सिंह ने एक अन्‍य ट्वीट में महाराष्‍ट्र सरकार का उदाहरण देते हुए कहा है कि मप्र सरकार को भी मप्र के विभिन्न ज़िलों से “चैत” करने आये मजदूरों को भी मेडिकल चेक अप (थर्मल स्क्रीनिंग) के बाद अपने घर लौटने की व्यवस्था अवश्य करें।