18 साल के कॅरियर में इतनी ऊंचाई, फिर भी ‘दगा’

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 18 साल तक कांग्रेस से जुड़े रहने के बाद पार्टी छोड़ दी। उनके इस फैसले पर सोशल मीडिया पर सवाल उठने लगे हैं। कांग्रेस कार्यकर्ताओं को पूरी उम्र गुजारने के बाद भी एक छोटा सा पद भी नसीब नहीं होता जबकि ज्योतिरादित्य को 18 वर्ष के कॅरियर में 2 बार केंद्रीय मंत्री, मुख्य सचेतक, राष्ट्रीय महासचिव जैसे पद मिले, फिर भी वे पार्टी से दगा कर गए?

Publish: Mar 11, 2020, 07:13 PM IST

कांग्रेस के महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मप्र में अपनी ही पार्टी की सरकार को संकट में डालते हुए पार्टी से इस्तीफ़ा दे दिया है। उन्होंने मंगलवार को ट्विटर के ज़रिए अपना त्यागपत्र सार्वजनिक किया। ज्योतिरादित्य ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के नाम लिखे अपने त्यागपत्र में लिखा है, ‘मैं 18 वर्षों से कांग्रेस का प्राथमिक सदस्य रहा हूं, लेकिन अब राह अलग करने का वक्त आ गया है… शुरुआत से ही मेरा उद्देश्य अपने राज्य और देश की जनता की सेवा करना था, लेकिन कांग्रेस में रहते हुए ऐसा कर पाना मुश्किल साबित हो रहा था…अब मुझे आगे बढ़ने की ज़रूरत है।’

इस्तीफ़ा देने से पहले सिंधिया ने मंगलवार सुबह गृहमंत्री अमित शाह की मौजूदगी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी जो करीब एक घंटे तक चली थी। जानकारों के अनुसार ज्योतिरादित्य सिंधिया औपचारिक तौर पर भारतीय जनता पार्टी में कभी भी शामिल हो सकते हैं। संभावना जताई जा रही है कि भाजपा पारितोषिक के तौर पर सिंधिया को पहले राज्यसभा भेजेगी और बाद में उन्हें केंद्रीय कैबिनेट में भी शामिल किया जाएगा।

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मगर उनके इस निर्णय की सोशल मीडिया में कड़ी आलोचना हो रही है। कहा जा रहा है कि पार्टी की सेवा करते कतरे लोगों की उम्र गुजर जाती है मगर उन्‍हें एक पद तक नसीब नहीं होता जबकि सिंधिया को 18 साल की राजनीति में कांग्रेस ने 17 साल सांसद बनाया, 2 बार केंद्रीय मंत्री बनाया, लोकसभा में मुख्य सचेतक बनाया, राष्ट्रीय महासचिव बनाया, यूपी का प्रभारी बनाया, कार्यसमिति सदस्य बनाया, मप्र में चुनाव अभियान प्रमुख बनाया, मप्र विधानसभा में 50 से अधिक टिकट उनके समर्थकों को दिए। कमलनाथ कैबिनेट में 9 समर्थक मंत्री बनाए गए। गांधी परिवार के करीबी ज्‍योतिरादित्‍य की पार्टी में हैसियत किसी ने छिपी नहीेंं थी। इतना सब मिलने के बाद भी वे फिर भी मोदी-शाह की शरण में चले गए, क्‍यों?