अमीरों को फ्री यात्रा, गरीबों से किराया वसूली
रेलवे ने घर भेजे जा रहे मजदूरों से किराया वसूलने के निर्देश दिए हैं। इस निर्देश पर हो रही देशभर में आलोचना।
भारतीय रेलवे ने देशभर में फंसे हुए लोगों को ले जाने के वास्ते विशेष श्रमिक रेलगाड़ियों के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं. रेलवे ने कहा है कि क्षमता की 90 प्रतिशत मांग होने पर ही विशेष श्रमिक रेलगाड़ियां चलाई जानी चाहिए और राज्यों को टिकट का किराया लेना चाहिए. किराया वसूलने के बयान पर रेलवे की तीखी आलोचना हो रही है.
भारतीय रेलवे ने लॉकडाउन की वजह से फंसे लोगों को निकालने के लिए ‘श्रमिक स्पेशल’ ट्रेन चलाने की एक मई को मंजूरी दे दी थी. रेलवे ने कहा कि स्थानीय राज्य सरकार प्राधिकार टिकट का किराया एकत्र कर और पूरी राशि रेलवे को देकर यात्रा टिकट यात्रियों को सौंपेंगी.
Click इस अंधेरे वक्त में ....
नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया, ‘‘यदि आप कोविड-19 संकट के दौरान विदेश में फंसे हुए हैं तो यह सरकार आपको विमान से निशुल्क वापस लाएगी, लेकिन यदि आप एक प्रवासी श्रमिक हैं और किसी अन्य राज्य में फंसे हैं तो आप यात्रा का किराया (सामाजिक दूरी की कीमत के साथ) चुकाने के लिए तैयार रहें. ‘पीएम केयर्स’ कहां गया?’’
वहीं कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने ट्वीट करते हुए सवाल किया, “जब हम विदेश में फंसे भारतीय नागरिकों को हवाई जहाज से निशुल्क वापस लेकर आ सकते हैं, जब नमस्ते ट्रंप कार्यक्रम में सरकारी खजाने से 100 करोड़ रुपये खर्च कर सकते हैं, जब रेल मंत्री पीएम केयर्स में 151 करोड़ रुपये दे सकते हैं तो फिर मजदूरों आपदा की इस घड़ी में निशुल्क रेल यात्रा सुविधा क्यों नहीं दे सकते?”
मजदूर राष्ट्र निर्माता हैं। मगर आज वे दर दर ठोकर खा रहे हैं-यह पूरे देश के लिए आत्मपीड़ा का कारण है।
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) May 4, 2020
जब हम विदेश में फँसे भारतीयों को हवाई जहाज से निशुल्क वापस लेकर आ सकते हैं, जब नमस्ते ट्रम्प कार्यक्रम में सरकारी खजाने से 100 करोड़ रु खर्च कर सकते हैं.. 1/2#CongressForIndia pic.twitter.com/KF0t5JcYYG
रेलवे ने दिशानिर्देशों में कहा कि फंसे हुए लोगों को भोजन, सुरक्षा, स्वास्थ्य की जांच और टिकट उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी उस राज्य की होगी जहां से ट्रेन चल रही है. उसने हालांकि उन यात्रियों के एक समय के भोजन की जिम्मेदारी ली है, जिनकी यात्रा 12 घंटे या इससे अधिक समय की होगी. किराए के संबंध में रेलवे ने कुछ भी बोलने से इनकार किया और कहा कि यह राज्य का मामला है.
बताया जा रहा है कि झारखंड में अब तक दो ट्रेनें पहुंची हैं और उसने पूरा भुगतान किया है. राजस्थान और तेलंगाना जैसे राज्य भी भुगतान कर रहे हैं. रेलवे श्रमिक स्पेशल ट्रेन में स्लीपर श्रेणी के टिकट का किराया, 30 रुपए सुपर फास्ट शुल्क और 20 रुपए का अतिरिक्त शुल्क लगा रही है.
Click शिव 'राज' : क्वारंटाइन के लिए यही जगह मिली?
सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी ने राज्यों पर भार डालने के लिए केन्द्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रवासी श्रमिकों की जो स्थिति हुई है, वह केन्द्र द्वारा लॉकडाउन की अचानक घोषणा करने के कारण हुई है.येचुरी ने कहा, ‘‘यह बहुत ही अनुचित है कि पूरी जिम्मेदारी राज्य सरकारों पर डाल दी गई है. राज्यों के कारण यह समस्या खड़ी नहीं हुई है. संसद में सरकार ने कहा था कि विदेशों में फंसे हुए भारतीयों को स्वदेश वापस लाने की पूरी लागत वहन की जायेगी. इसी तरह प्रवासी श्रमिकों को भी वापस लाया जाना चाहिए.’’
यात्रा के लिए शुल्क लिये जाने के निर्णय की निंदा करते हुए समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने कहा कि आपदा के समय गरीबों का शोषण करना साहूकारों का काम है ना कि सरकार का.’’ उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘भाजपा सरकार द्वारा गरीबों, असहाय श्रमिकों से उन्हें ट्रेन से वापस भेजने के लिए पैसे लेने की खबरें शर्मनाक है. आज यह स्पष्ट हो गया है कि भाजपा, जो पूंजीपतियों का अरबों का कर्ज माफ कर देती है, वह अमीरों के साथ है और गरीबों के खिलाफ है. आपदा के समय साहूकारों का काम होता है शोषण करना ना कि सरकार का.’’
कर्नाटक के कांग्रेस अध्यक्ष डी के शिवकुमार ने कहा कि उनकी पार्टी श्रमिकों के ट्रेन किराये के भुगतान के लिए राज्य सरकार को मदद उपलब्ध कराने के लिए तैयार है.