ग्वालियर की महिलाओं की सुध लीजिए महाराज

क्या बेमानी नहीं है ज्योतिरादित्य सिंधिया का राजा राम मोहन राय को याद करना

Publish: May 25, 2020, 06:24 AM IST

बाल विवाह और महिला अत्याचार के मामलों में देश में निचले पायदान पर आने वाले ग्वालियर के नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया का सामाजिक कुरूतियों पर बात करना बेमानी लगता है। ग्वालियर राजघराने के वारिस सिंधिया के राजनीति में कदम रखने के बाद इलाके में बाल लिंग अनुपात तेजी से गिरा है। मध्यप्रदेश के ग्वालियर जिले में 2011 का चाइल्ड सेक्स रेशियो 2001 के मुकाबले 853 से गिरकर 840 तक जा पहुंचा है। 

सिंधिया प्रख्यात समाज सुधारक राजा राम मोहन राय जी को याद तो करते हैं लेकिन अपने क्षेत्र के आंकड़ों पर उन्होंने शायद कभी नजर नहीं डाली है। क्षेत्रवासियों की सुध लेने की बजाय सिंधिया सिर्फ ट्विटर पर ही समाजिक कुरीतियों के खिलाफ मुखर हैं।

ताजा मामला गुरुवार का है जब हाल में कांग्रेस से जनसेवा के नाम पर बगावत करने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने राजा राम मोहन राय के जयंती पर उन्हें याद किया। महाराज ने ट्वीट करते हुए लिखा कि सती प्रथा एवं बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध जनजागृति लाने वाले महान समाज सुधारक श्री राजा राम मोहन राय जी की जयंती पर उन्हें मेरा कोटि-कोटि नमन। ऐसे में सिंधिया घराने के क्षेत्र ग्वालियर के आंकड़ों पर गौर करना आवश्यक है। ग्वालियर के चौंकाने वाले आंकड़े सिंधिया द्वारा की गयी बड़ी-बड़ी बातों पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करते हैं।

भारतीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा जारी 2011 की जनगणना के मुताबिक ग्वालियर जिले में लिंग अनुपात 864 है। वहीं अगर बाल लिंग अनुपात की बात की जाए तो यह संख्या मात्र 840 है। अर्थात प्रति 1000 लड़कों पर सिर्फ 840 लड़कियां हैं। 2011 में यह संख्या 2001 में किए गए जनगणना के आंकड़ों से भी कम हो गया है। 2001 के जनगणना के अनुसार प्रति 1000 लड़कों पर जिले में 853 लड़कियां थी। लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया इन मामलों पर कभी सामाजिक बहस में उतरते नहीं दिखे।

अगर ग्वालियर के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो फैमिली हेल्थ स्कीम के रिपोर्ट के मुताबिक जिले में 100 में से हर 20 युवतियों का विवाह कच्ची उम्र में करा दिया जाता है। शहरी क्षेत्रों में 18 से कम उम्र में युवतियों का विवाह का आंकड़ा 10.3 प्रतिशत है तो वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में यह आंकड़ा 37.4 प्रतिशत तक जा पहुंचा है। 21 साल से कम उम्र में युवकों के विवाह का आंकड़ा देखा जाए तो शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों का आंकड़ा क्रमशः 8.7 व 35.9 है फीसदी है। रिपोर्ट के मुताबिक 20 से 25 साल की 19.4 फीसदी महिलाओं की शादी 18 वर्ष से पहले हो गयी थी। यहां तक कि खुद सिंधिया की बीजेपी सरकार की नाक के नीचे जब पूरा प्रदेश लॉकडाउन में घरों में कैद था तब भी बाल विवाह की दो दो घटनाएं रिपोर्ट की जा चुकी हैं। लेकिन सिंधिया का इन घटनाओं पर कोई बयान नहीं आया।

 

सिंधिया को इससे पहले भी महिलाओं के खिलाफ अत्याचार पर कभी मुखर नहीं देखा गया। जबकि जनवरी 2020 के NCRB के आंकड़ों में भी ये बात सामने आ चुकी है कि मध्य प्रदेश में प्रतिदिन औसतन 15 रेप के केस दर्ज हुए हैं। महिलाओं के खिलाफ अत्याचार और यौन हिंसा के मामलों में मध्य प्रदेश का स्थान उत्तर प्रदेश के बाद दूसरे नंबर पर है। हाल के वर्षों में एमपी के बड़वानी जिले में रानी सती के मंदिर को लेकर भी बहुत विवाद रहा। तमाम विरोधों के बावजूद यहां सती मंदिर की ना सिर्फ स्थापना हुई बल्कि बाकायदा पूजा पाठ भी होता है। जबकि देश में सती विरोधी कानून को बने 200 साल होने को आ रहे हैं। पर सिंधिया की कोी सामाजिक सक्रियता तब भी देखने को नहीं मिली।

 

2011 जनगणना रिपोर्ट के मुताबिक ग्वालियर जिले में महिला साक्षरता दर मात्र 67 प्रतिशत है वहीं बेघर परिवारों की संख्या 1256 है। जनसेवा के नाम पर मध्यप्रदेश सरकार गिराने वाले सिंधिया के इलाके के 5,265 लोग जिनके सर पर छत नहीं है, वे महाराज से आस लगाए बैठे हैं कि शायद उन्हें बीजेपी में सेवा करने का अवसर प्राप्त हो और बेघरों के सिर के ऊपर भी छत नसीब हो जाए। लेकिन जनसेवक के रूप में ज्योतिरादित्य सिंधिया का अपने क्षेत्र की महिलाओं के लिए विशेष योगदान देखने को नहीं मिला।

ऐसे में सिंधिया द्वारा समाज सुधारक राजा राम मोहन को याद कर बड़ी-बड़ी बातें करना उनके क्षेत्र के लोगों को छलावा लगता है।